यदि इंसान के शरीर का कोई एक अंग ख़राब हो जाए तो क्या हालत होती है, और अगर किसी इंसान के दो अंग ख़राब हो जाएं तो फिर आप ख़ुद सोचिए उस पर क्या गुज़र रही होगी और अगर डाक्टर बता भी दे कि अब उसकी ज़िंदगी चंद दिनों की है फिर वो क्या करे। ऐसा ही मामला मध्य प्रदेश के एक मॉडल स्कूल के टीचर का सामने आया है। कहते हैं न कि जब दवा काम न आए तब दुआ काम करती है. कुछ ऐसा ही मामला मध्य प्रदेश के डिंडोरी में सामने आया है. जिले के मेहदवानी मॉडल स्कूल के हिंदी टीचर संजय कुमार की दोनों किडनी खराब हो चुकी है।
मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक संजय कुमार चंद दिनों के ही मेहमान हैं. अपने चहेते टीचर की बीमारी की जानकारी लगते ही स्कूली छात्र-छात्राएं बेहद भावुक और मायूस हैं. इसके बावजूद उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी है. वे अपने हिंदी टीचर के स्वास्थ्य में बेहतरी के लिए रोज स्कूल में प्रार्थना करते हैं. उन्हें यकीन है कि एकदिन उनके टीचर बिल्कुल स्वस्थ हो जाएंगे।
छात्रों का लगाव और प्रेम देख टीचर संजय सिंह भी भावुक हैं. उनके मन में भी विश्वास बढ़ गया है कि दवा से न सही छात्रों की दुआएं जरूर असर करेंगी. छात्रों के साथ स्कूल का पूरा स्टाफ भी हिंदी टीचर के लिए रोज होने वाली प्रार्थना में शामिल होता है और संजय कुमार की सलामती के लिए दुआ मांगते हैं।
टीचर संजय कुमार ने बताया कि नवम्बर महीने में पहली बार जब उनकी तबीयत खराब हुई थी तब वह स्थानीय सरकारी अस्पताल में गए थे. डॉक्टर की सलाह पर वह चेकअप कराने जबलपुर और नागपुर गए जहां डॉक्टरों ने दोनों किडनी खराब होने की बात कही और अपने हाथ खड़े कर लिए।
सोशल मीडिया में चंडीगढ़ में आयुर्वेदिक उपचार की जानकारी मिली, जहां से संजय कुमार अपना इलाज करवा रहे हैं. एक तरफ टीचर संजय सिंह इलाज के लिए अस्पतालों के चक्कर काट रहे थे, तो वहीं स्कूल में छात्रों ने उनके लिए प्रार्थना करना शुरू कर दिया था।
स्कूल प्रिंसिपल का कहना है कि उन्होंने हिंदी टीचर संजय कुमार को आराम करने के लिए अवकाश की अनुमति दे रखी है, लेकिन बीमार और कमजोर होने के बाद भी वह रोज स्कूल आते हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं. छात्रों के प्रति उनके इस समर्पण भाव की हर कोई चर्चा करता है. जब उनके गंभीर रूप से बीमार होने का पता चला तो छात्रों के साथ-साथ उनके अभिभावक भी मायूस हो गए. छात्रों को विश्वास है कि उनकी प्रार्थना जरूर असर दिखाएगी।
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