उत्तर भारत में भीषण गर्मी के कारण घरों में लगे एयर कंडिशनर्स (एसी) के फटने के कुछ मामले सामने आए हैं.
नोएडा की एक सोसायटी में एसी में लगी आग के बाद का दृश्य |
अधिकारियों ने बताया है कि गुरुवार को उत्तर प्रदेश के नोएडा की एक हाउसिंग सोसइटी में लगी आग का कारण, घर में लगे एसी के कंप्रेसर फटना था.
इस ब्लास्ट के बाद दिन भर मीडिया में एक बहुमंज़िला इमारत के इस फ़्लैट में लगी आग के दिल दहला देने वाले विज़ुअल चलते रहे.
नोएडा फ़ायर ब्रिगेड के अधिकारी प्रदीप कुमार ने पत्रकारों को बताया, "पिछले कुछ दिनों में 10 से 12 एसी फटने की सूचनाएं मिली है. ये घटनाएं रिहाइशी और बिज़नेस टावर्स में हुई हैं.”
इससे पहले 27 मई को मुंबई के बोरीवली वेस्ट के एक फ्लैट में भी ऐसा ही मामला सामने आया था. नोएडा में हुई घटना की तरह वहां भी एसी में आग लगने से पूरा फ्लैट जलकर राख हो गया.
हरियाणा के हिसार ज़िले में स्थित वीके न्यूरोकेयर अस्पताल में भी कुछ दिनों पहले एसी का कम्प्रेसर फटने से आग लगी थी.
आख़िर एसी फटने के ये मामले क्यों सामने आ रहे हैं? और आप अपने एसी को ब्लास्ट होने से कैसे बचा सकते हैं?
आइए इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं.
इन हादसों की वजह क्या बढ़ता तापमान है?
नोएडा की जिस सोसायटी में एसी फटने की घटना घटी, आग लगने के बाद फ्लैट का दृश्य |
घरों-दफ़्तरों में लगे एसी में ब्लास्ट होने और बढ़ते तापमान के बीच संबंध है.लेकिन इस का विज्ञान कैसे काम करता है ये समझने के लिए हमने संपर्क किया आईआईटी बीएचयू के मेकेनिकल विभाग के प्रोफ़ेसर जहर सरकार से.प्रोफ़ेसर सरकार ने बीबीसी संवाददाता अरशद मिसाल को बताया कि कूलिंग के लिए एम्बिएंस (कंप्रेसर के आस-पास) का तापमान, कन्डेंसर के तापमान से क़रीब 10 डिग्री सेल्सियस कम होना चाहिए.प्रोफ़ेसर जहर ने बीबीसी को आगे बताया, "भारत में अमूमन एसी के कंडेंसर का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक होता है. जब एम्बिएंस का तापमान कन्डेंसर के तापमान से अधिक हो जाता है तब एसी काम करना बंद कर देता है. इन हालात में एसी के कंडेंसर पर प्रेशर बढ़ जाता है. इस वजह से कन्डेंसर के फटने की संभावना बढ़ जाती हैं."
किन कारणों से फट सकता है एसी?
अधिक तापमान के अलावा और भी कुछ वजहें हैं जो एसी से जुड़े हादसों का कारण बन सकती हैं.
गैस लीकेज: जानकार बताते हैं कि कन्डेंसर से गैस लीक होने से भी एसी से जुड़ी दुर्घटना हो सकती है. गैस कम होने से कन्डेंसर पर दबाव ज़्यादा पड़ता है, जिससे वो अधिक गर्म होने लगता है. इससे आग लगने की संभावना बढ़ जाती है.
गंदे कॉइल: एसी की कूलिंग में कन्डेंसर कॉइल अहम भूमिका निभाते हैं. यह हवा से गर्मी को बाहर निकालते हैं. जब कॉइल गंदगी के चलते जाम हो जाता है तब गैस के सामान्य प्रवाह में दिक्कत होती है, इससे कंडेंसर ज़्यादा गर्म होने लगता है, और आग लगने का ख़तरा बढ़ जाता है.
वोल्टेज का उतार-चढ़ाव: लगातार वोल्टेज के उतार-चढ़ाव से भी कंप्रेसर की परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है. यह भी हादसे का कारण बन सकता है.
एसी को फटने से कैसे बचाएं?
- ज़्यादा गर्मी पड़ने पर एसी के कंप्रेसर को छांव में रखें. कंप्रेसर और कन्डेंसर यूनिट के आसपास सही तरीक़े से वेंटिलेशन हो यानी वहां हवा आती हो ताकि यूनिट अधिक गर्म न हो.
- नियमित समय पर एसी की सर्विस कराएं ताकि किसी भी समस्या को समय रहते ठीक किया जा सके.
- एयर फ़िल्टर और कूलिंग कॉइल्स की सफ़ाई नियमित रूप से करें. इससे कंप्रेसर पर अधिक दबाव नहीं पड़ेगा और यह सही तरीके़ से काम करेगा.
- समय-समय पर कूलिंग फैन की भी जांच करें. अगर इसमें कोई समस्या हो, तो उसे तुरंत ठीक करवाएं.
एसी खरीदने से पहले किस बात का रखें ध्यान?
जानकार बताते हैं कि ऐसे एसी जिनके कन्डेंसर तांबे के होते हैं, वो एल्यूमीनियम कन्डेंसर वाले एसी से ज़्यादा महंगे ज़रूर होते हैं लेकिन तांबा बेहतर होता है.
तांबा पानी या हवा में नमी के साथ रिएक्ट नहीं करता, यानी वो ज़्यादा नॉन-कोरोसिव (यानी नमी की वजह से वो ख़राब नहीं होते) होता है जिस कारण अधिक मज़बूत होता है.
अपने 'लो स्पेसफ़िक हीट प्रॉपर्टी' की वजह से तांबा जल्दी गर्म नहीं होता और कूलिंग भी तेज़ करता है.
जानकार अक्सर एल्यूमिनियम मेटल वाले एसी की जगह तांबे वाले एसी को तरजीह देते हैं.
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