मिर्ज़ापुर शहर विन्ध्याचल में बल खाते हुए निकलती गंगा के दाहिने किनारे पर बसा है. लाल बहादुर शास्त्री सेतु इस शहर को उत्तर से जोड़ता है.

ये सेतु मिर्ज़ापुर को पार कर उत्तर दिशा की तरफ़ आने का एकमात्र सड़क मार्ग है.

भदोही की तरफ़ से मिर्ज़ापुर शहर में जाने के लिए जैसे ही शास्त्री ब्रिज पर पहुँचते हैं, यहाँ वाहनों की लंबी क़तार देखने को मिलेगी. मुख्य मार्ग होने की वजह से यहां हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है.

पुल की हालत जर्जर है और मरम्मत के निशान, पुल के किनारे गड्ढे इस बात की तस्दीक करते हैं. 

पुल पर रात में रौशनी की कोई व्यवस्था नहीं है. ओवरटेक करने में कई स्थानीय लोगों ने जान गंवाई है.

इन दिनों पुल से ट्रैफिक़ गुज़र रहा है. मरम्मत के बाद ये पुल पिछले महीने ही खुला है. लेकिन मिर्ज़ापुर की लाइफ़लाइन माना जाने वाला ये पुराना पुल अक्सर बंद रहता है.

जब-जब ये पुल बंद होता है, मिर्ज़ापुर के ट्रांसपोर्ट कारोबारियों को भारी नुक़सान होता है और आम लोगों की ज़िंदगी प्रभावित हो जाती है.

शास्त्री सेतु मिर्ज़ापुर

इस चुनावी मौसम में मिर्ज़ापुर के कारोबारी पुराने पुल से आवागमन को लेकर होने वाली असुविधा को लेकर ख़ासे नाराज़ नज़र आते हैं.

दरअसल, मिर्ज़ापुर का यह पुल भदोही, जौनपुर और वाराणसी जाने का एकमात्र रास्ता है.

आए दिन मरम्मत के नाम पर पुल पर आवागमन रोक दिया जाता है, इस कारण भदोही, जौनपुर और वाराणसी जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है.

ट्रांसपोर्ट व्यवसायी जयशंकर यादव कहते हैं, "ज़िले के ट्रक व्यवसायी त्रस्त हो चुकें हैं. साल में तीन से चार बार पुल जानबूझकर बंद कर दिया जाता है ताकि मिर्ज़ापुर से बनारस की तरफ़ जाने वाले ज़्यादा से ज़्यादा ट्रक नारायणपुर टोल प्लाजा से होकर गुज़रे और मोटा टोल टैक्स वसूला जा सके. अगर हम पुल पार कर जातें हैं तो इस रास्ते से बनारस तक कोई टोल प्लाज़ा नहीं पड़ता और दूरी भी कम पड़ती है.”

वे कहते हैं, “माल ढुलाई में जो अतिरिक्त ख़र्चा होता है, हम ट्रक व्यवसायियों को उठाना पड़ता है. हमारे ज़िलें में ही स्थित विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर को दर्शन करने वाले लाखों की संख्या में दर्शनार्थियों को भी असुविधा का सामना करना पड़ता है.”