मोबाइल फोन और दूसरे डिजिटल डिवाइस का दिन में चार घंटे इस्तेमाल करने वाले पेरेंट्स का अपने बच्चों के प्रति व्यवहार बदल जाता है। कनाडा की वॉटरलू यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर्स ने 5 से 18 साल के बीच दो बच्चों वाले 549 माता-पिता का सर्वे किया।
इस रिसर्च में पाया गया है कि जो अभिभावक खाली समय में या आराम करने के दौरान फोन या दूसरे डिजिटल माध्यमों के संपर्क में रहते हैं वो अपने बच्चों के प्रति चिड़चिड़े हो जाते हैं। बात-बेबात अपने बच्चों को झिड़कते रहते हैं और ज्यादा चिल्लाते हैं। मोबाइल फोन और अन्य डिजिटल डिवाइस का इस्तेमाल करने वाले पेरेंट्स में 75% को डिप्रेशन भी था।
कोरोना में डिजिटल डिवाइस का इस्तेमाल बढ़ा
रिसर्च कोरोना काल के दौरान हुई। इसमें पाया गया कि स्क्रीन टाइम और डिजिटल माध्यमों के यूज में काफी तेजी आई है। औसतन, पेरेंट्स दिन में 3 से चार घंटे डिजिटल मीडिया का उपयोग करते हैं। वॉटरलू यूनिवर्सिटी में क्लिनिकल साइकोलॉजी के स्कॉलर और इस रिसर्च की मुख्य लेखिका जैस्मीन झांग ने कहा कि परिवार के तौर पर अभिभावक और बच्चे दोनों का व्यवहार मायने रखता है, ऐसे में हमने पाया कि अभिभावकों के व्यवहार पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।
डिजिटल डिवाइस के बढ़े स्क्रीन टाइम व व्यवहार में आई तल्खी के बीच में कनेक्शन पाया गया। रिसर्च टीम ने यह भी पाया जब परिवार के लोगों के बीच में बातचीत कम हो गई तो अभिभावकों में पेरेंटिंग से संबंधित खराब आदतें उभरने लगीं।
सामाजिक रूप से ज्यादा एक्टिव रहें
रिसर्च लीडर प्रो. जैस्मीन झांग ने बताया कि जो पेरेंट्स सोशल मीडिया पर दिन भर में एक या दो घंटे बिताते हैं, उनका व्यवहार बच्चों के प्रति ज्यादा सकारात्मक होता है। उन्होंने कहा कि माता-पिता को सामाजिक रूप से ज्यादा एक्टिव रहना चाहिए।
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